दिल्ली में निजी स्कूलों की फीस में भारी इज़ाफे को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने आरोप लगाया है कि बीजेपी सरकार के सत्ता में आते ही प्राइवेट स्कूलों ने अपनी मनमानी शुरू कर दी है और फीस में 20% से लेकर 82% तक की बढ़ोतरी कर दी है।
AAP का कहना है कि इसी वजह से बच्चों के अभिभावक प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि सरकार इन स्कूलों के साथ खड़ी है। शुक्रवार को पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर बयान देते हुए कहा कि “दिल्ली में शिक्षा माफिया वापस लौट आया है।”
AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने भी इस मुद्दे पर बीजेपी को घेरा। उन्होंने कहा कि 1 अप्रैल से शुरू हुए नए सत्र में मिडिल क्लास पर भारी आर्थिक बोझ डाल दिया गया है। दिल्ली के ज्यादातर निजी स्कूलों ने 20% से 82% तक की फीस वृद्धि की है।

उन्होंने बताया कि दिल्ली के एक प्रतिष्ठित स्कूल की द्वारका, वसंत कुंज और रोहिणी शाखाओं में फीस बढ़ाने के बाद छात्रों को परेशान किया जा रहा है। 7वीं और 10वीं कक्षा के छात्रों को प्रेयर में ग्राउंड में ही रोक दिया गया और उन्हें क्लासरूम में जाने से मना कर दिया गया। जिन बच्चों के माता-पिता ने बढ़ी हुई फीस जमा नहीं की है, उन्हें लाइब्रेरी में बैठाया जा रहा है। यहां तक कि टॉयलेट जाने के लिए भी अटेंडेंट साथ भेजा जा रहा है ताकि वे क्लास में न जा सकें।
रिजल्ट पर भी असर
सौरभ भारद्वाज ने दावा किया कि मयूर विहार फेज-3 स्थित एक स्कूल ने 82% तक फीस बढ़ाने की घोषणा की है। इस स्कूल ने पहले ही 57% फीस बढ़ा दी है और अब 25% और बढ़ाने जा रहा है। जिन अभिभावकों ने यह फीस नहीं दी, उनके बच्चों के रिजल्ट रोक दिए गए हैं।
इसी तरह, प्रीतमपुरा और वसंत कुंज के अन्य निजी स्कूलों ने भी फीस में भारी इजाफा किया है और जिन बच्चों की फीस जमा नहीं हुई, उन्हें परेशान किया जा रहा है।
भाजपा सरकार पर निष्क्रियता का आरोप
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जब केजरीवाल सरकार थी, तब प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर तुरंत कार्रवाई होती थी। विधायक खुद स्कूलों के बाहर पहुंचते थे, स्कूलों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाता था और ज़रूरत पड़ने पर टेकओवर के आदेश भी जारी किए जाते थे। लेकिन आज बीजेपी सरकार के तहत कोई कार्रवाई नहीं हो रही और अभिभावक अकेले धरना देने को मजबूर हैं।
आर्थिक बोझ बढ़ा
उन्होंने कहा कि आज एक औसत प्राइवेट स्कूल की फीस 10,000 रुपये मासिक है और ज़्यादातर स्कूल तिमाही फीस लेते हैं। ऐसे में दो बच्चों की फीस एक साथ 60,000 रुपये पड़ती है। अगर इसमें 65% की वृद्धि हो जाए, तो वही अभिभावक 1 लाख रुपये चुकाने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
बुराड़ी से विधायक संजीव झा और आप नेता आदिल खान ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए कहा कि भाजपा सरकार बनने के बाद सबसे पहली मार मध्यम वर्गीय अभिभावकों पर पड़ी है।